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DR.SANTOSH KAMBLE { SK.JI }

Abstract

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DR.SANTOSH KAMBLE { SK.JI }

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बुरा मान गये

बुरा मान गये

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पुछ लिया उनका इरादा 

तो बुरा मान गये,

जान ली उनके दिल की बात जो,

तो बुरा मान गये।


हालातो की कष्टी कीनारो पे आये,

था इतंजार हम को,

रेत की तरहा छुटने लगे मुठ्ठी से जब किनारे,

तो बुरा मान गये।


जान ली उनके दिल की बात जो,

तो बुरा मान गये।

आईने मे खुद को देखना तो

अच्छा लगता है मगर,

जब आईने ने सच बोला

तो बुरा मान गये।


जान ली उनके दिल की बात जो,

तो बुरा मान गये।

मोहब्बतो मे जिद्द करना तो

अपना हक समझते थे,

जब बात आई कुछ देने की,

तो बुरा मान गये।


जान ली उनके दिल की बात जो,

तो बुरा मान गये।

हालातो मे मीले जाये किसी का

साथ तो राहत मिले,

जब थपेड़े खाने पड़े अकेले ही,

तो बुरा मान गये।


जान ली उनके दिल की बात जो,

तो बुरा मान गये।

हमने माना कोई ज़िन्दगी भर

नहीं रहता ज़िन्दगी के लिए,

जब राज खुला ज़िन्दगी का,

तो बुरा मान गये।


जान ली उनके दिल की बात जो,

तो बुरा मान गये।


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