हाथों में तेरे जादू है माँ
हाथों में तेरे जादू है माँ
हाथों में तेरे जादू है माँ
लगता जैसे तेरे हाथों के
स्वाद में झलकता
तेरा अंतर्मन है माँ।
जब तू उदास होती
तो नमक थोड़ा ज्यादा डाल देती
पर फिर भी स्वाद तेरे हाथों
का जुबां पर ऐसा चढ़ा
कि इसके सामने होटलों ने भी
खाई हर बार मात है।
खुश होती तो खुशी से
मुझे अपने हाथों से खिलाती
उसमे भी इतना स्वाद
जैसे जीते जी ज़न्नत।
हर बार तू कहती
तू भी सीख जाएगी बनाना
मेरी गुड़िया रानी।
बचपन से तुझे सताती
माँ, खाने में तू ऐसा क्या मिलाती
कि सूखी रोटी और चटनी भी
छप्पन भोग सी लगती
तूने कुछ भी बनाया
मैंने बड़े चाव से खाया
हर बार तेरे बनाये
खाने को निहारती
और सोचती
आखिर माँ के लज़ीज
खाने का राज क्या है
तुझसे मीलों दूर होकर भी
जब खुद का बनाया खाना खाती
हर बार तुझे याद करती
तुझे फ़ोन करके भी रेसिपी मांगती
पर फिर भी कमी सी लगती
तेरी ममता और प्यार भरे हाथों के
स्वाद की कमी लगती माँ
हाथों में तेरे जादू है माँ।
कितनी बार हसकर कहती
यह हाथ मुझे दे दे माँ
पर क्या फायदा
प्यार तेरा स्वाद तेरे
हाथों का कहा होगा माँ
दिल से कहा बना होगा माँ
क्योंकि जादू तो तुझ मेें ही है माँ
उम्र चाहे कोई भी हो
बच्चा हो या बूढ़ा हो
या बच्चों की माँ हो
स्वाद तो माँ के हाथों में होता है न
हाथों में तेरे जादू है माँ।
भले चाहे मास्टर शेफ
क्यों न बन जाये कोई
पर माँ के हाथों की तो
बात ही कुछ अलग होती
ढेर सारा प्यार दुलार
अपनों के लिए समर्पण और प्यार
और ममता से बना
एक बेमिसाल स्वाद
यह सब कहा होगा शेफ या
किसी सराय के पास माँ
हाथों में तेरे जादू है माँ।