रावण - दहन
रावण - दहन
हर साल रावण-दहन होता है पर,
पर अपने अंदर का रावण टटोला है ??
रावण ने सीता हरण किया एक बार
पर फिर जलता है हर साल
पर ये रावण जो हर दिन, हर पल, हर वक्त साये की तरह साथ है ,
अहंकार, संकुचित और विक्षिप्त मानसिकता
तो कभी दहेज़ -प्रथा, कभी भ्रटाचार , महंगाई में रूप में
माँ सीता की तो एक बार हुई थी अग्निपरीक्षा
पर न जाने कितनी बेटियाँ रोज ही जलती है ससुराल में
रावण-दहन करते है पर ये क्यों भूल जाते हैं
रावण के पुतले भी तो हम इंसान ही बनाते हैं
