उम्र का हर पड़ाव है खूबसूरत
उम्र का हर पड़ाव है खूबसूरत
उम्र का हर पड़ाव है खूबसूरत
बचपन में बच्चे बनकर की हुई
शैतानियाँ
दादी - नानी को सताकर सुनी थी
जो कहानियाँ
खेल -खेल में की सारी बदमाशियाँ
लगता है ख़ुशियों का कोई खजाना
अनमोल
होठों पर खिली हुई नन्ही सी हँसी
बचपन याद कर कहती यही
उम्र का वो दौर वाकई था खूबसूरत।
ऊँगली थाम कर चले थे जो बड़ों की
कैसे पलक झपकते ही हुए बड़े
गलतियाँ भी की ठोकरेें भी खाई
पर गिरकर संभलना सिखा
कदम से कदम मिलाकर चलना
सिखा
उम्र तो बस एक नंबर थी
बढ़ती उम्र ने अनुभव दिया
सही गलत परखने की
पारखी नजर दी
बचपन जो यारों के साथ बीता
मीठी सी याद बनाकर दिल में
बस गया
फिर कैसे न कहे
उम्र का हर पड़ाव है खूबसूरत ।
उम्र ने कितने खूबसूरत से पल दिए
बचपन की यादें बच्चों की किलकारियाँ
घर में गुंजी हुई शहनाइयाँ
अपनों से दूर जाने की परेशानियाँ
नासूर से बनते ज़ख्म
पर इन्हीं से मजबूत बनते इरादे
और परिस्थिति में खुद को ढ़ालने का
हुनर
जो कहता
उम्र का हर पड़ाव है खूबसूरत।
