कृष्णा कहाँ है
कृष्णा कहाँ है
जब मैंने पूछा की कृष्णा हैं कहाँ
किसी ने बताया की कृष्णा वृन्दावन में हैं
कोई कहता है की कृष्णा हर एक मन में हैं
कोई कहे कृष्णा कण कण में हैं
कोई कहे कृष्णा बैठे मंदिर के भवन में हैं
कोई कहता कृष्णा पूजा और हवन हैं
कोई कहता है कृष्णा हैं हर घर आँगन
कोई बताये कृष्णा आए जहा हो भजन सत्संग
पर कहता ये पागल मन
कृष्णा अगर वृन्दावन में होते तो
यमुना मलिन नहीं होती
कृष्णा अगर हर मन में होते तो न
होता प्रेम अभाव, ना होता ईर्ष्या भाव
कृष्णा अगर हर मंदिर में होते तो ना रोता
नन्हा बच्चा भूक से मंदिर की सीढ़ी पे बाहर
कृष्णा अगर हवन में होते तो न
बनता पूजा एक व्यापार
कृष्णा होते जो हर घर आँगन तो
न होता वहाँ नारी का अपमान
कृष्णा होते अगर भजन सत्संग में तो
न होता वहाँ जाते लोगो में अभिमान
कृष्णा कण कण में होते तो होता स्वछ समाज
कृष्णा कण कण में होते
तो होता भय मुक्त जगत आज
जब खोजा मन ने तो
मिले कृष्णा गीता के सार में
मिले कृष्णा आदर व्यवहार में
मिले कृष्णा हर स्नेह प्रकार में
वृन्दावन के मंदिर से उठते
भक्ति और प्रेम पुकार में
मंदिर में बटते प्रसाद की मिठास में ,
वहाँ बंधे धागो से लिपटी आस में
कृष्णा हैं उस करुण पुकार में,
जिसने बढ़ाया चीर अपार,
रूकने को नारी पे अत्याचार
कृष्णा भक्ति युक्ति और शक्ति का संगम है
कृष्णा आस्था और आत्म विश्वास का जन्म है
कृष्णा हैं कर्म प्रधान में, कृष्णा है स्वाभिमान में
कृष्णा हैं वन उपवन से
उठती गाते भवरो के गुंजन में,
आते कदमो के अभिनन्दन में
कृष्णा हैं शीतल अविरल जल की धार में
कृष्णा हैं पक्षियों में बस्ते प्रेम व्यवहार में
कृष्णा हैं हर संकल्प में,
कृष्णा हैं हर मंजिल को पाने के विकल्प में
कृष्णा हैं चर्चा और ज्ञान में
कृष्णा हैं हर चेहरे पे सजती मुस्कान में।
