कोन कहेगा
कोन कहेगा
सब खुदगर्ज बनेगें तो, इंसानियत की मिसाल कौन बनेगा
सब आपनी आपनी कहेगें तो, औरों का हाल कौन सुनेगा?
गुमान खुद पर और औरौं की खबर ही नहीं ,
तरक्की के दौड़ में हैं सब, किसी को होश ही नहीं
मदहोशी मे हैं सब, अब होश की बात ही नहीं ,
फरेब है दुनिया भर में, सच्चाई का नाम ही नहीं
बीज जिस तरह का बोओगे फल वैसा ही तो आयेगा
सब आपनी आपनी कहेगे तो, औरौं का हाल कौन सुनेगा ।
साथ देना तो दूर की बात है, सब बने हैं फत्थर राह के,
कैसे पता चले, हमसफर है कौन, कौन दोस्त हैं राह के
गुमनाम सा सफर है,न जाने हम मुसाफिर हैं किस राह के,
हम सफर में थे ऐसे, मुसाफीर बन के रह गए राह के
यै भी एक दोर है दोस्तों, आयेगा और जायेगा
सब अपनी अपनी कहेंगे तो, औरौं का हाल कौन सुनेगा।
हम भी ना कभी छोड़ेंगे दामन,कभी अपने होश का,
वक्त के साथ मतलब बदलता है,हर सही बात का
हो न हो चलना पड़ेगा , हाथ किसी के साथ का,
साथ टूट जाता है यहां पर,जैसे साया हो रात का
मिलेगी मंजिल उसे एक दिन, जो आगे बढ़ता ही जायेगा
सब आपनी आपनी कहेंगे तो, औरौं का हाल कौन सुनेगा।
