मेरा कुछ सामान
मेरा कुछ सामान
मेरा कुछ सामान तुम,
जो साथ ले गये थे।
उन दिनों का एहसास,
यादें जो मुझे दे गये थे
वो पहली बार आंखो का मिलना,
जैसे बरसो से इन्तजार हो तुम्हारा
वो घर आने के बाद भी याद आना चेहरा तुम्हारा
हम न जाने कहां खो से गये थे,
मेरा कुछ सामान तुम,
जो साथ ले गये थे।
वो घंटो के इन्तजार के बाद भी,
इन्तजार से ना थकना
वो बरसों का इन्तजार लिखा है मुक्कदर मे,
फिर भी राह तकना
बिमारी ये क्या आप हमे दे गये थे
मेरा कुछ सामान तुम,
जो साथ ले गये थे।
वो जो गुलाब पहली मुलाकात का,
जो तुम साथ ले गये थे
दाग किताबों के बीच के,
जैसे थे वैसे ही रहे गये थे
खुशबु,रंग, एहेसास जो थे,
वही रहे गये थे
मेरा कुछ सामान तुम,
जो साथ ले गये थे।
तुम कभी नही लौटोगे
इसका यकीन है मुझे
क्युं तेरी याद भी लौटा दूं
बोल,और क्या चाहिये तुझे,
अब तो हम खुद से ही
दुश्मनी निभाते जा रहे थे
मेरा कुछ सामान तुम,
जो साथ ले गये थे।
सुख,चैन,शांती मेरे एहसास सब मर गये थे
उधार सी हो गयी ज़िन्दगी,
हम न जाने क्या से क्या हो गये थे
यादे भी सांसो की तरह कम हो गयी है,
दिन कुछ गिनती के रहे गये थे
मेरा कुछ सामान तुम,
जो साथ ले गये थे।
मेरा कुछ सामान तुम,
जो साथ ले गये थे।
उन दिनों का एहसास ,
यादे जो मुझे दे गये थे।