मैं भारत का जवान हूँ
मैं भारत का जवान हूँ
मैं दुश्मन से नहीं डरता मैं भारत का जवान हूँ
मरुस्थल की रेट हूँ सियाचिन का आसमान हूँ।
मैं दुश्मन से नहीं डरता मैं भारत का जवान हूँ
मैं जून में तपती रेट पर लेटे कहता हूँ आज सर्दी कम है।
दिसंबर की ठंढ़ पी कर कहता हूँ गर्मी का मौसम है
मैं बर्फ में नौ दिन दफ़्न हो कर जिन्दा निकलता हूँ
सीने में अपनी साँस को टुकड़ो में भरता हूँ
मैं इन महासागर के लहरों के कपड़े बदलता हूँ।
माईनस तीस डिग्री में राइफल टाँग कर
टहलने निकलता हूँ आदमजात की औकात क्या
ज़ब मैं कुदरत से नहीं डरता मैं भारत का जवान हूँ
मैं दुश्मन से नहीं डरता मैं भारत का जवान हूँ।
मेरी दिवाली में उजाले का ख्याल तक नहीं
मेरी होली में रिश्तों का ग़ुलाल तक नहीं
चाँद हर ईद में तन्हाई में इजाफा लता है
मुझे राखी बाँधने बस एक लिफाफा आता है।
अपनी माँ का पैर छुए हमें एक अरसा हो गया
मेरा बाप मेरे इंतजार में बूढ़ा हो गया
मेरी बीबी सिंदूर लगा कर भी लगती कुंवारी है
मैं ने सहूलत का गला घोंटा जरूरत कारी
हाँ मैं निर्दयी हूँ, हाँ मैं निर्दयी हूँ
मैं अपने उजड़ते घरों आँगन से नहीं डरता
मैं भारत का जवान हूँ मैं दुश्मन से नहीं डरता
मगर मैं डरता हूँ हाँ मैं डर जाता हूँ
मैं डरता हूँ नफ़रत की आग से
मजहब के चोलों से
सियासत के सांप के कातिल सपोलों से
हवा में फैली अफवाह से डरता हूँ
मैं सैलाब एक गुमराह से डरता हूँ
मुझे सर है मेरी सरजमीं को मेरे अपने उजाड़ेगे
खून के मोहर से खुद को सवारेंगें
मैं मजबूर हूँ कमजोर हूँ मैं उनसे लड़ नहीं सकता।
अपनों की तरफ बंदूक लेकर पड़ नहीं सकता
मैं बस बोल सकता हूँ मैं बस बोल सकता हूँ
मैं बहरों की तरह गूंगा
तुम्हारें कान पर है हाथ, मगर फिर भी मैं बोलूंगा।
हजारों साल की इस सभ्यता को गौर से देखो
सुनो आवाज़ तुम नम की जरा गहराई से सोचों
तुम्हें क्या सच में लगता है कोई अपना पराया है ?
हुआ पैदा जो इस देश में बाहर से आया है ?
सभी का खून है शामिल लगी कुर्बानियां सबकी
कि हमने हड्डियों को जोड़ कर भारत बनाया है
तुम्हें घर इश्क है इस से तो इसको दिल से अपनाओ
कोई पूछें अगर मजहब तो हिंदुस्तान बतलाओ।
कभी न तोड़ पायेगी कोई आंधी सियासत की
जुड़ों ऐसे जड़ों से जिंदगी की चाँद कहलाओ
पहाड़ी वादियाँ , मैदान, साहिल याकि सहरा हों
तिरंगा तीन रंगो से बना दीखता सुनहरा हो।
युवा हर प्राण यह प्रण लें, सड़क पर खून ना होगा
मैं सरहद पर खड़ा हूँ तुम मेरे आँगन में पहरा दो
मैं सरहद पर खड़ा हूँ तुम मेरे आँगन में पहरा दो।
