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Usha Gupta

Abstract

4.5  

Usha Gupta

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चैरी ब्लॉसम

चैरी ब्लॉसम

2 mins
441



मौसम है जाती हुई सर्दी का,

देश अमेरिका, शहर बथेस्डा,

वाशिंगटन डी सी के क़रीब, 

महीना है अप्रेल का।

कर रही प्रकृति स्वागत वसंत ऋतु का,

छाई है बहार चैरी ब्लॉसम की,

पेड़ बड़े-बड़े कुछ भरे हैं गुलाबी पुष्पों से,

तो कुछ ढके श्वेत पुष्पों से कर रहे भ्रमित,

मानों बिछी हो चादर बर्फ़ की,

खेल रहीं लुका छिपी का खेल टहनियाँ,

छुप जाते हैं पत्ते भी कहीं,

आते हैं सैलानी देश विदेश से,

उठाने लुफ़्त इस अदभुत प्राकृतिक दृश्य का,

होता है जो बस चन्द दिनों का मेहमान।


मनाते हैं चैरी ब्लॉसम कई देशों में ,

आशावाद के उत्सव की तरह,

कहते हैं साकुरा  इस उत्सव को जापानी में,

जो है द्योतक जीवन की नवीन शुरूआत का,

जाता है श्रेय इसका जापान को,

भेंट किया जिसने पौधा चैरी का अनेकों देशों को,

देने के लिये बढ़ावा मित्रता व सहयोग।


पेड़ों की है बहुतायत अमेरिका में,

झड़ चुके हैं वृद्ध पत्ते सभी 

पत्तझड़ में, कर उम्र पूरी अपनी,

 नन्हें-नन्हें कोमल पत्तों से है सुशोभित 

पेड़ सभी,

दे रही संदेश सुहावनी ऋतु वसंत,

जीवन चक्र का,

फूलेगें वृक्ष कुछ समय के लिये,

झड़ जायेंगें पुष्प-पत्ते सभी इक दिन,

आयेगा फिर वसंत ले संदेश नवजीवन का,

चैरी ब्लॉसम के संग।।






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