यूँ तो शिवरात्रि .....
आती है हर महीने ,
मगर महाशिवरात्रि आती ,
केवल फाल्गुन महीने |
हर मास की कृष्ण पक्ष की ,
चतुर्दशी पर होती शिवरात्रि ,
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की ,
चतुर्दशी पर होती महाशिवरात्रि |
शिवरात्रि का मतलब होता ,
शिव की प्रिय रात्रि जहाँ ,
शिव और शक्ति का मिलन ,
बनाता इसे जग की रात्रि |
शुरुआत में भगवान शिव ,
रहते थे केवल निराकार रूप में ,
मगर आये थे इस दिन वो ,
आधी रात को साकार रूप में |
प्रकट हुए थे वो अपने ,
विशालकाय स्वरूप अग्निलिंग में ,
और निर्माण किया सृष्टि का ,
प्रकट हो लिंगरूप में |
सूर्य और चंद्रमा भी इस दिन ,
रहते हैं बहुत नजदीक ,
शीतल चन्द्रमा और शिवरूपी सूर्य ,
के मिलन का होता ये त्योहार प्रतीक |
कहा जाता हैं कि इस दिन भगवन ,
प्रदोष समय में रूद्र अवतार अपनाते ,
फिर दुनिया के सामने तांडव करके ,
अपने तीसरे नेत्र से हमें भस्म कर जाते |
महाशिवरात्रि को भगवान शिव ,
अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते ,
तभी ये दिन कहलाता अंधकार दिवस ,
जहाँ बुरी शक्तियों का होता विध्वंस |
अगर सांसारिक लोगों की मानें तो ,
तो इस दिन ज्ञान का प्रसार हुआ ,
और आध्यात्मिक लोगों के अनुसार ,
इस दिन सत्य रूप हमे प्राप्त हुआ |
पवित्र नदियों में इस दिन स्नान करें ,
घरों व मंदिरों में शिव की पूजा करें ,
शिवलिंग पर सिंदूर लगाकर ,
अन्न व धूप को अर्पित करें |
ज्ञान रूपी एक दीपक जलाकर ,
शिव साधना में लीन हो जायें ,
इस जाग्रति की रात में चलो हम सब ,
मिलकर महाशिवरात्रि का पर्व मनायें ||