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Phool Singh

Abstract Inspirational

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Phool Singh

Abstract Inspirational

सर्वश्रेष्ठ युग कौन?

सर्वश्रेष्ठ युग कौन?

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सर्वश्रेष्ठता का युद्ध छिड़ा

सतयुग-त्रेता-द्वापर और कलयुग में

चारों युग का अपना महत्व, उलझन खड़ी हो गई इस समस्या में।।


आदि अनंत महेश्वर शंभू

वही निर्णय देंगे इस संबंध में 

जो भी होगा उनका फैसला, कोई मतभेद होगा फिर हम सब में।।


सम्मुख आते प्रभु शंकर के 

कोई कमी न उनके अतिथि सत्कार में 

कालचक्र जो समय कहलाते, प्रतिद्विंदिता समझ न आती उन सब में।। 


तप, सच, शुद्ध संग दया है मुझमें

मैं सबसे बड़ा हूँ इन सब में

शक्तिशाली पुरुष मेरे काल में जन्में, कई अवतार धरे थे श्री हरि ने।।


योद्धाओं के बल पर कोई बड़ा न होता

जन्म योद्धा लेते हर युग में 

अवतारों की बात सामान्य, धर्म स्थापना करते वो हर युग में।।


बलवान होते बुद्धिहीन सब 

युद्ध ही आता उनकी समझ में 

वचनों के बल पर मर मिटते सब, क्यूँ अकल न होती उन सब में।।


वैज्ञानिक काल है कलयुग प्रभु

नए-नए आविष्कार होते मेरे युग में

नर-नारी को समान अधिकार है, प्रगति होती मेरे वक्त में।।


सोच में पड़ गए प्रभु सुनकर 

जब तर्क-वितर्क सुने जो उन सब के

हर किसी का तर्क सही था, पर कलयुग श्रेष्ठ रहा था उन सब में।।


परीक्षा होगी आज अभी 

नहीं रहना कोई संशय में 

वही सर्वश्रेष्ठ कहलायेगा, जो सफल होगा उस परीक्षा में।।


परसा मंगाया प्रभु ने तब 

देर न की धान मंगवाने में

हर युग के लोग इसका भात बनाये, देर न इन्हें पकवाने में।।


हर युग ने बावर्ची बुलाया

चर्चे थे जिसके उस जमाने में 

अपने-अपने तरीके लगाते, सब लगे समस्या थे सुलझाने में।।


प्रथम तीन युग के लोग शक्तिशाली

देर न करते परसा भट्टी पर रखने में 

कलयुग का सबसे छोटा इंसान था, उसने दिमाग लगाया बनाने में।।


तृप्त हो गए प्रभु के गण

लगे प्रभु निर्णय को अपने सुनाने में 

आत्मविश्वास से भरा कलयुग, जबकि नर्वस थे सब परिणाम के आने में।।


प्रभु थे परिणाम सुनाते 

बात अचंभित-हैरानी भरी जो सुनने में 

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया कलयुग ने, सफल रही जो संतुष्टि हमें दिलाने में।।


बुद्धि का रक्षक ज्ञानी-ध्यानी

हमें प्राणी मिला बस कलयुग में 

निर्माणकर्ता वो कला में माहिर, दक्ष था वो हर श्रेणी में।।


सर्वगुण संपन्न सर्वश्रेष्ठ है 

प्राणी मिला हमें इस युग में 

विज्ञान का रक्षक उसे मानने वाला, जो वक्त बिताएगा खोज नई वो करने में।।


साधनों की उसे कमी तो होगी 

युक्ति लगायेगा पूरी करने में 

चालाक, चतुर वो कूटनीतिज्ञ होगा, प्राणी सर्वश्रेष्ठ होगा हर जन में।।


सतयुग-त्रेता, द्वापर भी संतुष्ट होते 

होंगे मिले-जुले लोग कलयुग में 

धारण करेंगे तीनों काल के गुणों को, फिर भी साथ रहेंगे इस युग में।।


सर्वश्रेष्ठ हुआ है कलयुग हममें

हम बड़े हैं केवल आयु में 

गुण-ज्ञान से बड़ा कोई न होता, बड़ा ज्ञान ही होता इस जग में।।


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