Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

ritesh deo

Abstract

4  

ritesh deo

Abstract

ऐसी होती हैं प्रेमिका

ऐसी होती हैं प्रेमिका

2 mins
308


प्रेमिकाओं का कोई नाम नहीं होता

उनका कोई चेहरा भी नहीं होता

प्रेमिकाओं का नाम ज़ोर से नहीं पुकारा जाता

सार्वजनिक स्थानों पर उन्हें अनदेखा किया जाता है

प्रेमिकाएं एकांत की साथी होती हैं

जहां फुसफुसाया जाता है उनका नाम

चेहरे को कहा जाता है चाँद


माँ की मृत्यु से टूटा 

बहन की रुखाई से परेशान

प्रेमिका की बांहों में पनाह पाता है

दुःखों का अस्थि कलश

प्रेम की गंगा में बहा आने को आतुर

प्रेमी यकायक शिशु बन जाता है

प्रेमिका इस शिशु को मन में धारण करती है

छिपा लेती है अपने आँचल में

प्रेम का ये सबसे पवित्र क्षण होता है

लेकिन ये पवित्र क्षण केवल एकांत में संभव है


मौज में प्रेमी

प्रेमिका को फूल और खुशबू पुकारता है

कहता है तुम तो चालीस में भी उनतीस की लगती हो

उनतीस में मिलती तो हम साथ फिल्म देखने चलते

अब तो कोई न कोई टकरा जाएगा थिएटर में

यूँ सबके सामने तमाशा बनाना ठीक नहीं

प्रेमिका अनसुना करती है

प्रेम को तमाशा पुकारना

पूछती है - चाय तो पियोगे न

खूब अदरक डाल के बनाती है चाय

देर तक खौलाती है

चाय नहीं मन

फिर कसैलापन दूर करने

एक चम्मच चीनी ज़्यादा डाल देती है

प्रेमी को उसके हाथ की बनी चाय खूब पसंद है


प्रेमिका सुख की सबसे आखिरी हिस्सेदार होती है

दुःख की पहली

प्रमोशन मिलने पर पुरुष

सबसे पहले पत्नी को फोन करता है

चैक बाउंस हो जाने पर प्रेमिका को

प्रेमिका पूछती है

कितने पैसों की ज़रूरत है

कहो तो कुछ इंतज़ाम करूं

प्रेमी दिल बड़ा कर इनकार करता

नहीं...मैं तो बस बता रहा 

तुमसे पैसे कैसे ले सकता हूँ

प्रेमिका को जाने क्यूं ख़याल आता 

पैसे प्रेम से अधिक कीमती है

वो कहना चाहती है

सुनो...प्रेम दे दिया फिर पैसे क्या चीज़ है

लेकिन कहते-कहते रुक जाती

ये फिल्मी डायलॉग सा सुनाई देता

इस उम्र में ये चोंचलेबाज़ी अच्छी नहीं लगती


कभी अचानक मॉल में प्रेमी के टकरा जाने पर

वो देखती है उसकी अनदेखा करने की कोशिश 

लेकिन पहचान लेती है प्रेमी की पत्नी

वो जानती है उसे सहकर्मी या पुरानी दोस्त के रूप में

पूछती है - कितने दिन बाद मिली आप

कैसी हैं...क्या कर रही हैं आजकल

प्रेमिका बिल्कुल नज़रअंदाज़ करती है प्रेमी को

उसकी पत्नी का हाथ पकड़ करती है कुछ बातें

फिर जल्दी का बहाना बना निकल जाती है बाहर

अगले दिन प्रेमी बताता है

पत्नी पूछ रही थी

आजकल उसके रंग ढंग बड़े बदले से है 

छेड़ में कहता है

मेरे प्रेम ने तुम्हें रंगीन बना दिया

प्रेमिका नहीं बताती

कल लौटते में उसने फिर रुलाई पर काबू किया

बस निकाल लाती है

प्रेमी के फेवरेट कलर की टीशर्ट

जो कल खरीदी थी मॉल से 


निकलते-निकलते प्रेमी कहता है सुनो घर जा रहा हूँ

अब मैसेज मत करना

फोन बच्चों के हाथ में होता है अक्सर

जाते हुए प्रेमी का माथा चूमने को उद्दत प्रेमिका

पीछे खींच लेती है कदम

कार में बैठते ही प्रेमी भेजता है एक कोमल संदेश

फिर कोई जवाब न पाकर सोचता है

अजीब होती हैं ये प्रेमिकाएं भी 


सच...कितनी अजीब होती हैं प्रेमिकाएं



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract