मेरे सफर मेरे अल्फाज़
मेरे सफर मेरे अल्फाज़
कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फ़ाज़ मेरे
मतलब मोहब्बत में बर्बाद और भी हुए हैं
एक उम्र कटी दो अलफ़ाज़ में
एक आस में… एक काश… में
आ लिख दूँ जिंदगी कुछ तेरे बारे में
मुझे पता है कि तू रोज ढूंढती है
खुद को मेरे अल्फाजों में
तू पूछती है मुझसे …
कैसे बयां करूं मैं अपना हाल-ए-दिल?
तो सुन ले ऐ जिंदगी
अल्फ़ाज़ तो बहुत हैं
मोहब्बत बयान करने के लिए
पर जो खामोशी नहीं समझ सकते
वो अल्फ़ाज़ क्या समझेंगे ?
मैं अल्फाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ
कब पूछा मैंने तुझसे कि क्यूँ दूर हो मुझसे ?
मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ !
ऐ जिंदगी अल्फ़ाज़ चुराने की
हमें जरूरत ही ना पड़ी कभी
तेरे बेहिसाब ख्यालों ने बेतहाशा लफ्ज दिए
तुम्हें सोचा तो हर सोच से खुशबू आयी
तुम्हें लिखा तो हर अल्फ़ाज़ महकता पाया
मैं ख़ामोशी तेरे मन की,
तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा।
मैं एक उलझा लम्हा,
तू रूठा हुआ हालात मेरा ।
सभी तारीफ करते हैं मेरे तहरीर की लेकिन
कभी कोई नहीं सुनता मेरे अल्फ़ाज़ की सिसकियाँ
खता हो जाती है जज़्बात के साथ
प्यार उनका याद आता है, हर बात के साथ
खता कुछ नहीं, बस प्यार किया है
उनका प्यार याद आता है,
हर अल्फ़ाज़ के साथ
हम अल्फाज़ों से खेलते रह गए
और वो दिल से खेल के चली गयी.....
ऐ जिंदगी अब ये न पूछना
के मैं अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ ?
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के
कुछ अपनी सुनाता हूँ !
बिखरे पड़े हैं हर्फ कई
तू समेट कर इन्हें अल्फाज़ कर दे
जोड़ दे बिखरे पन्ने को
मेरी जिंदगी को तू किताब कर दे।
खत्म हो गयी कहानी
बस कुछ अल्फ़ाज़ बाकी हैं
एक अधूरे इश्क की
एक मुक़्क़मल सी याद बाकी है ।
कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फ़ाज़ मेरे
मतलब मोहब्बत में बर्बाद और भी हुए हैं
एक उम्र कटी दो अल्फ़ाज़ में
एक आस में… एक काश… में.....!!