ऐ खुदा तू ही..
ऐ खुदा तू ही..


ऐ खुदा तू ही बता ये क्या हो रहा है
कैसी ये इंसानियत तूने बनाई है
कि आज इंसान ही इंसान को मार रहा है
हर किसी सिर पर खतरा मंडरा रहा है
कहाँ गयी तेरी लिखी वोह ख़ुदाई
तू ही बता तूने ये दुनिया कैसी बनाई
देख ले तू तूने उस मा पर कैसा सितम ढाया है
गया था था वो सरहदों पर देश की सुरक्षा के लिए
वो लाल आज लौट कर न आया है
न मिली उसकी रूह उसकी माँ को
कोई तो मिला दो उस माँ को उसके लाल से
जब लिया तूने तो एक एक इंच नाप लिया था
आज लौटाने पर सिर्फ तूने उसे एक कतरा ही दिया
ऐ खुदा तू ही बता ये क्या हो रहा है
कैसी ये इंसानियत तूने बनाई है
कि आज इंसान ही इंसान को मार रहा है।