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Rudra Singh

Abstract

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Rudra Singh

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जब सबके तरीके एक जैसे नज़र आयें

जब सबके तरीके एक जैसे नज़र आयें

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जब सबके तरीके एक जैसे नज़र आयेंगे,

तो देवताओं और राक्षस में फर्क कैसे कर पायेंगे,

न हम चित्रगुप्त ठहरे न ठहरे हम यमराज,

क्या सच में आ गया है नया राम राज़,

जो हो रहा है, क्या लंबी फिल्मी चल रही थी वहां,

जिंदगी देते नहीं किसी को मौत कैसे तय हो गयी वहां,

गुनाह कैसे तय होंगे वहां, जहां भीड़ बन जायेगी भगवान,

कैसे पता चलेगा कौन था इंसान और कौन थे शैतान,

गर सब कुछ भावनाओं से हो रहा है,

तो देश क्यों उस हुकूमत के सामने रो रहा है,


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