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Rudra Singh

Inspirational

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Rudra Singh

Inspirational

जो मुझे मेरी चुपी से जानते है,

जो मुझे मेरी चुपी से जानते है,

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मैं वो सख्श जो शोर में सुकून ढूंढ लेता है,

बड़ी महफिलों में अकेले एन्जॉय कर लेता हूँ,

जो मुझे मेरी चुप्पी से जानते हैं,

वो कहाँ मेरे अंदर की बातें जानते हैं,

इस भीड़ की मेरे पास पूरी गिनती है,

मगर मेरी उससे कहाँ बनती हैं

खुद की खुद में भी अपनी एक मस्ती है,

वो दुनिया उसे कहाँ जानती है

कौन पागल इस शोर से दूर जाना चाहता है,

वो कहाँ जानता इस महफ़िल में बहुत कुछ खो जाता है,

कइयों का टूटता है तो कोई हार के जाता है,

कोई अकेले तो कोई नशे में मदहोश होके घर जाता है,

और कुछ के पास तो रह जाता है बस पछतावा,

काश उससे कह दिया होता तो अब अफसोस न रहता।


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