हाय! ये महंगाई है
हाय! ये महंगाई है
आओ चले सुनाएं सबको
महंगाई की गान
गैस सिलेंडर महंगा हुआ है
लकड़िक काम तमाम ॥
पर्यावरण अब दूषित है
परेशान खलिहान
पहले कम थी महंगाई
पर अब तो निकली जान ॥
सब्जी का तुम हाल न पूछो
पूछ लिए तुम ज्ञान
पहले दस में थी आलू
अब नहीं आसान ॥
चलो बताए तेल की कीमत
छू गई आसमान
अब जनता कैसे लेगी
वो भी है परेशान ॥
किसी के जेब में रिश्वत है तो
किसी के है सिर्फ़ पान
महंगाई अब सर पे चढ़ी है
निकल रही है जान ॥
गरीब के बच्चे कैसे रहें वो
जीना नहीं आसान
जिसके घर में कुछ भी नहीं है
उसी को चूसे दाम ॥
मजदूरों के दिल में देखो
आँसू के वो कण रोता है
महंगाई जो फैली हुई है
दो सौ में भी न होता है ॥
कोई सड़क पर रोटी ढूँढ़े
तो किसी के नाली में रोटी
किसी की तिजोरी कसी पड़ी है
किसी की भूखे वो रोती ॥
हर गली मोहल्ले में भी देखों
यही वो बातें सुन मिलती हैं
गैस पे सेकने वाली रोटी
चूल्हे पर अब मिलती हैं ॥
नेता की जेबें भी देखो
वो रफ्फू करके सीते हैं
टैक्स से बचने के खातिर वो
पैसा - पैसा करते हैं ॥
हाय! ये महंगाई
इसने सबको सताई है
हर चीज पे आग लगी है देखो
रिश्वतखोरों की परछाई है ॥
हाय ! ये महंगाई है ॥
हाय ! ये महंगाई है ॥
हाय!ये महंगाई है ॥
हाय !ये महंगाई है ॥
