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Manoj Kumar

Romance Others

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Manoj Kumar

Romance Others

मैं कहूँगा उनसे

मैं कहूँगा उनसे

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क्या शक्लें लिख रही हो

लफ्जों से

या एहसान कर रही हो

मुझसे दूर होकर

क्या है बदमाशियाँ

क्या है खामोशियाँ

जो तेरे मन के साथ बह रही हैं

मेरी अर्जियाँ

मैं कहूँगा उनसे

मेरे क़रीब आ

या दूर जा...


सोच के किस पुल पे खड़ी तू

क्या सोच रही भावुक में

इधर -उधर की बातें अच्छी नहीं लगती

कह दो कि इन्कार है

न प्यार था, न प्यार है


मैं कहूँगा उनसे,

अब पन्ना -पन्ना फट गया दिल का

जो मैंने अपने हाथों से संवारा था

जिस पर हर एक लफ्ज़ तेरी यादों का बुना था



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