जाम
जाम
गया न था मैं कभी किसी
मयखाने में
मिला न था मैं कभी किसी
साकी से
फिर भी मैं था
नशे में आज
जाम मैंने पिया था
किसी प्याले से नहीं
किसी की आँखों से
l-align-center">ढुलक गया था जाम का
कतरा कतरा मेरी आँखों में
किसी की आँखों से
और झूम रहा था
मैं नशे में
बस इस इंतज़ार में
की कोई आकर
थाम ले मुझे,
बचा ले मुझे
गिरने से पहले