जिंदगी
जिंदगी
जिंदगी में तुम्हें बहुत कुछ माना था
जिंदगी में तुम्हें बहुत कुछ समझा था
जिंदगी में तुम्हें शायद चाहा भी था
जिंदगी में तुम्हारी
मेरा भी हक़ है तुमसा
यही तुमने समझाया था मुझे
पर एक दिन
न जाने यह सूरज
किस लालिमा को लिए उदय हुआ
हाँ अब मैंने जाना यह
लालिमा इतनी अपनी सी क्यों लगी
यह तो मेरे दिल का खून ही था
और उस दिन
डूबते सूरज के साथ
डुबो दिया तुमने मुझे भी
मेरे अविरल बहते आंसूओं की बाढ़ में
तोड़ दिए वो सारे रिश्ते
वो सारी आशाएं तुमने
एक तूफ़ान की तरह आए
और रह गई
एक नीरवता हमारे बीच।