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Shweta Mangal

Romance

5.0  

Shweta Mangal

Romance

तुम ही तुम

तुम ही तुम

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तुम ही तुम इस दिल में

बसते चले गये

तुम ही तुम इस दिल पे

छाते चले गये


कितना चाहा रोक सकूँ

अपने दिल की इस खता को

परन्तु यह तुम्हारी अदाओं पर

निसार होता चला गया


कितना चाहा थाम लो

तुम मेरे हाथ को

संभाल लो मुझे गिरने से

 

पर तुमने यह खता भी न की

और तुम्हारी इन्हीं अदाओं पर

यह दिल कुर्बान होता चला गया


काश कभी तो तुम

कोई खता कर देते

कभी तो दिल की बात

जबान पर लाते


पर तुम आँखों - आँखों में ही

इशारे करते रहे

और दिल में बसते चले गये


क़ाश तुम कोई खता कर देते

क़ाश तुम इस ख़ामोशी को तोड़ देते

क़ाश तुम दिल के जज़्बात मुझसे कह देते।


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