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Shweta Mangal

Romance

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Shweta Mangal

Romance

अजनबी

अजनबी

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अजनबी थे जब मिली थी

तुमसे पहली बार

पर अब तुम्हें अजनबी कहना

दिल के साथ बेअदबी होगी। 


दिल की तो धड़कन हो तुम

दिल की झंकार हो तुम। 


मेरे ख्वाबों में आकर

हंसा देते हो

मेरी कलम से उतर जाती हैं

कविता तुम्हारी यादों में

और तुम बन जाते हो

सदा के लिए मेरे। 

 

तुम्हें दिल से जुदा करुँ

ऐसा सोचना दिल का

क़त्ल होगा। 

 

जब तुम आ जाते हो

सामने मेरे

तो लगता है जनम जनम सा

रिश्ता तुमसे,

पर तुम्हारे लिए शायद

मैं अब भी

अजनबी ही हूँ। 


कब टूटेंगी ये दीवारें

कब निकलेगी मेरे दिल से ये बात

और पहुँच सकेगी तुम तक,

या बस बनकर रह जाओगे

दिल में मेरे तुम एक याद। 

अजनबी कब तुम भी मुझे

अपना कहोगे ये बता दो। 


 



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