गीत जिंदगी के
गीत जिंदगी के
क्रिकेट का कप्तान था मैं
लड़कियां मुझपे मरती थीं
रास्ते में कॉलेज के वो
स्माइल पास करती थी।
मैं किसी को भाव न देता
कोई मुझे पसंद नहीं थी
पूछे दोस्त कोई तो होगी
बात मैंने ये कही थी।
''है अपना दिल तो आवारा
न जाने किस पे आएगा।”
कैंटीन में दिखी एक लड़की
कॉलेज में वो नयी थी
आँखें उसकी हिरणी सी थीं
पहली नजर में भा गयी थी।
अगले दिन बॉयफ्रेंड था उसका
कॉलेज छोड़ के जा रहा था
दिल उदास था बहुत और
मन ही मन ये गा रहा था।
''तुम अगर मुझको न चाहो
तो कोई बात नहीं
तुम किसी गैर को चाहोगी
तो मुश्किल होगी।”
उसको मैं भुला न सका
दोस्तों से कटने लगा
दोस्त सारे छोड़ गए
मन मेरा भटकने लगा।
अकेला मैं अब रह गया था
कॉलेज से सीधा घर को आता
न पार्टी, न क्रिकेट थी अब
रात को ये गाना गाता
''दोस्त दोस्त न रहा
प्यार प्यार न रहा
जिंदगी हमें तेरा
ऐतबार न रहा।”
कुछ दिन बाद एक और लड़की
कॉलेज में आयी थी पढ़ने
हम दोनों को प्यार हुआ
जिंदगी लगी थी बढ़ने।
एक दिन बैठे थे दोनों
शरमा रहा था मैं था भोला
उसने बोला बोलो भी कुछ
गा के ये फिर मैंने बोला
''जो तुमको हो पसंद
वही बात कहेंगे
तुम दिन को अगर रात कहो
रात कहेंगे।”
हमारी शादी हो रही थी
खुशियों के बादल छा गए
मैंने दोस्तों को मनाया
वो भी वापिस आ गए।
दोस्तों ने जश्न मनाया
प्यार था वो वापिस आया
जम के फिर डांस किया
और सबने मिलकर गाना गाया
''आज मेरे यार की शादी है
ऐसा लगता है सारे संसार की शादी है ''