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RAMESH KUMAR SINGH RUDRA रमेश कुमार सिंह रूद्र

Romance

4.3  

RAMESH KUMAR SINGH RUDRA रमेश कुमार सिंह रूद्र

Romance

तुम्हारी याद

तुम्हारी याद

1 min
303


यादें तुम्हारी मेरे पास बहुत है,

किस पल को याद करूँ मैं।

सभी पलो में हलचल मची है,

किस-किस पर मन दौड़ाऊँ मैं।


मन चारों दिशाओं मे जाते हैं, 

किधर-किधर उसे मोड़ दू मैं।

सब कुछ बातें समझ नहीं पाते,

कैसे बिताये लम्हे याद करूँ मैं।


जब -जब याद तुम्हें करते हैं ,

उस वक्त सोचने लगता हूँ मैं।

खुराफातें सब मन में आ जाते हैं,

कैसे इन सबको हटाऊँ मैं।


हर क्षण आती बहुत सी बातें,

कैसे हर क्षण को विताऊँ मैं।

हृदय में मेरे हर पल चुभतें

जब गुजरें लम्हे याद करता हूँ मैं।


हृदय तल पर वो पल उमड़ते हैं,

कैसे तुम्हारे दिल को बतलाऊँ मैं।

बातें एक-एक करके बित चुके हैं ,

कैसे तुम्हें आकर समझाऊँ मैं।


कल्पित शब्दों से वर्णन कर-करके,

कैसे परिस्थितियों को भुलाऊँ मैं।

समाप्ति के कगार पर लम्हे आपके,

कैसे तुम्हारे दिल के अन्दर आऊँ।


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