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RAMESH KUMAR SINGH RUDRA रमेश कुमार सिंह रूद्र

Abstract

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RAMESH KUMAR SINGH RUDRA रमेश कुमार सिंह रूद्र

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मानो या न मानो

मानो या न मानो

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मानो या न मानो यारों

दुनियां बदल गई है

भ्रष्टाचारी फैल गये है

दुर्जन का दखल भई है


बदल गया है देश-भेष

सब बदल गये इंसान,

दुराचारी की मंसा अब

चहुंओर सफल भई है।


मानो या न मानो यारों

सत्य मेव जयतु रो रहा।

कार्यालय या न्यायालय

अपना ईमान खो रहा।


घर परिवार रिश्तेदार

सब के सब बदल गये,

बेईमानी की हवा चली

जिसमें सब हाथ धो रहे।


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