मुझे ऐसा लगा
मुझे ऐसा लगा
मुझे ऐसा लगा आपका चेहरा उदास है
कहाँ खोयी रहती हैं लगाईं क्या आस है
जब मैं चला अपने आशियाने की तरफ,
ऐसा लगा रोकने का कर रही प्रयास है।
आँखों में देखा भरा आँसुओं का सैलाब है
उमड़ रहा था जैसे बादल भरा बरसात है
स्पष्टतः हृदय की आवाज़ झलक रही थी,
कह रही रुक जाइए करनी कुछ बात है।
मौन की ही भाषा में चल रही कुछ बात है
अन्तरात्मा की आवाज़ उठा रहीं सवाल है
जाकर क्या करेंगे? ठहरिए कुछ देर तक,
बाकि है दिल की तमन्ना पूर्ण की आस है।