तेरी यादों की बारिश
तेरी यादों की बारिश
है! प्राण वल्लभ तुम हो, कहां
तुम बिन है मन का आंगन सूना
विरह वेदना से झुलस गया है
मेरी इस काया का हर कोना
शरद चन्द्र की धवल चांदनी भी
लगे अमावस सी श्याह रजनी
पसर जाता फलक पर सन्नाटा
यादों में विरही मन तड़पे सजनी
चकवा चकवी कर रहे चीत्कार
प्रतिपल एक दूजे को रहे पुकार
कष्टप्रद है जीवन बिना भामिनी
बिन तेरे कैसे बीते विरह यामिनी
निशब्द निशा डराती है मुझको
राकापति भी मस्ती में है खोया
पथ निहारुं आने की प्रत्याशा में
इस धरती का ज़र्रा ज़र्रा है सोया।

