रक्षाबंधन का दिन
रक्षाबंधन का दिन
श्रावण पूर्णिमा को आया रक्षाबंधन का त्योहार
छलके नेह सघन घन बन बरसे पीयूष फुहार
अटूट बंधनों में है बंधा यह भाई बहन का प्यार
मांगें हर बहना दुवाएं, प्रिय भाई के लिए हज़ार
दीर्घायु हों भाई मेरे करुं विनय प्रभु से हर बार
निष्कंटक हों पथ उनके वह जिए हजारों साल
धन धान्य समृद्धि पूरित घर बहे दूध की नदियां
सुरभित सुमनों से महके,उनकी जीवन बगिया
बांधती जब भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बहना
तुम ही रक्षक हो भाई मेरे और नहीं कुछ कहना
पूजा का थाल सजा रही, ले रोली अक्षत चन्दन
धूप दीप नैवेद्य अर्पित कर, करती उसका वंदन
जब मिले आशीष भाइयों का, मन मयूर हर्षाए
हो स्नेहासिक्त विह्वल हृदय ,नयन नीर छलकाएं
रंग बिरंगे धागों सा रंगीन था,जीवन का प्रतिपल
सुंदर सुखद दिन था वह मन में भाव था निर्मल।।