पथिक हिम्मत मत हार
पथिक हिम्मत मत हार
सुख दुःख जीवन के दो पहलू
दोनों ईश्वर प्रदत्त हैं उपहार
गिरकर उठना, उठकर गिरना
मानव तुम मन छोटा न करना
इस जीवन के हर संगम पर
नित आशा और निराशा है
यह जय पराजय ही तो
इस जीवन की परिभाषा है
बादल निराशा के जब छा जाएं
जगत की वस्तु न मन को भाए
तब उन वीरों की गाथा पढ़ना
जिनका लक्ष्य था आगे बढ़ना
श्रम के आगे सब झुकते हैं
कर्म योद्धा कब रुकते हैं
उड़ चल गगन में पंख पसार
हे पथिक हिम्मत मत हार ।