उसका साथ...
उसका साथ...
(1)
मौसम का मिज़ाज़ कैसा भी हो
कहीं भी किसी भी हाल में रहें
हालात हों कैसे भी
मुझे कुछ नहीं बस साथ तुम्हारा चाहिए
पर सुनो..
साथ में खड़े होकर तस्वीर लेने वाला साथ नहीं
कहीं भी रहो दूर या कि पास
जरूरत के वक़्त थोड़ा ढांढस दे देना
बस इतना ही साथ काफी है..!!
(2)
वो दूर रहकर भी फिक्र करता है मेरी
जब चाहती हूँ पास आकर बैठ लेता है
भाव उमड़ते हैं मेरे उर में जब कभी
वो शब्द बन उभर आता है कागज पर
मैं हूँ कैसी हालात हैं कैसे मेरे सब जानता
कभी मुस्कराउँ तो वो संग खिलखिलता है
निकलते हैं आँसू मेरे वो पलकों पे थाम लेता
किन किन राहों से गुजर वो आता मुझ तक
उसके साथ होकर हर घड़ी पुलकित होती मैं
बड़ा प्यारा है वो है उससे प्यारा साथ उसका ।

