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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Romance

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Romance

मैं तुम्हारा हूं

मैं तुम्हारा हूं

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मैं तुम्हारा हूं, तुम मेरी ज्यों चांद संग निर्मल चांदनी।

एक जीवन के दो अध्याय, मिल सृजते भामिनी।


साथ चलते हैं ,कदम मिला दिन रैन हर घड़ी, हर पल ।

ख्वाबों की नौका, जीवन सफर हम करते गल ।


ओढ़ सुनहरे सपनों की रंगीन खुशनुमा चादर ,

बीते वक्त की यादों में कैसे लहलहाता सागर।


कर बारिश प्रेम की मिल सजाये खुशियों का गाँव,

प्रेम की मिठास संसार में भर, हर्षा दें हर गली ठांव।


जीवन के रंगीन पल, हंसी के बादल, कर खेल मुस्कराते ।

साझा कर ज़िंदगी के सब मेल, संग यों खिलखिलाते,


हम साथ एक-दूजे के पकड़ बांह प्रेम दृग बिहंसते ,

आंचल में छुपा मोती, अपनी बाल वाटिका गढ़ते ।


दिल के संगी साथ चलते हैं हम, ले ख़्वाब उड़ान ,

छोड़ गम को हम रचते सुंदर एक आयाम बिहान ।

    


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