बौनी उड़ान
बौनी उड़ान
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थोड़ा सा यश मिलता है,
उड़ने लगते आसमान में।
विचार भाव बदल जाते,
पैर नहीं पड़ते ज़मीन पे।
पद प्रतिष्ठा पाकर उमड़ते,
सम्पत्ति ऐश्वर्य से अकड़ते।
किसी को कुछ न समझते,
कैसी सोच बन गई सबकी,
पैसे के आगे रंग बदलते।
कहते अपनी ऊंची सोच है,
कार्य इनके नीची सोच की।
ऊंची उड़ान के अंदर पैदा
बौनी उड़ान का करतब है
बदल गया इतना इंसान
बेच दिया अपना ईमान।
