STORYMIRROR

RAMESH KUMAR SINGH RUDRA रमेश कुमार सिंह रूद्र

Inspirational

4  

RAMESH KUMAR SINGH RUDRA रमेश कुमार सिंह रूद्र

Inspirational

ज़िन्दगी खेल नहीं

ज़िन्दगी खेल नहीं

1 min
220


ज़िन्दगी भी एक अनुठा पहेली है।

कभी खुशी तो कभी याद सहेली है।

कभी उछलते है सुनहरे बागानों में,

कभी दु:ख भरी यादें रूलाती है।

 

अजब उतार चढ़ाव आते रहते है।

बचपना खेल-खेल में बित जाते हैं। 

भागमभाग जवानी में आ जाते हैं,

कई उलझने मन में जगह बनाते हैं।


मानसिक तनाव बढ़ने लगते हैं।

एक दूसरे से मसरफ बिगड़ते हैं।

लोग ईमानदारी से दूर भागते हैं।

ईर्ष्या और द्वेष को गले लगाते है। 


ज़िन्दगी एक अनबुझ रास्ता है।

इसे समझ पाना एक समस्या है।

समझने में कड़ी मेहनत करते हैं।

तब इस सफर को तय करते हैं।


वाह रे ज़िन्दगी क्या रंग लाती है। 

बचपन में उमंग भर देती है। 

जवानी में भाग-दौड़ ला देती है,

और बुढापा में स्थिर कर देती है।


यही है ज़िन्दगी का रहनुमा दस्तूर।

हर पल को कर देता है क्षण भंगुर। 

कराता है सबको यही पर सफर।

जिन्दगी खेल नहीं गाँव या शहर।


यही है ज़िन्दगी की कहानी ।

जो कभी ला देता है रवानगी।

और कभी ला देता है दीवानगी।

सिखाता है सबको ज़िंदगानी ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational