यादें
यादें
हे मन !
क्यों उदास है ?
क्या सोच रहा है ?
क्यों याद कर रहा है ? उसको
उसका अभी -भी इन्तजार है,
उसने क्या दिया था तुम्हें,
खुशहाल भरे ओ पल,
आनन्द भरी वो बातें,
इजहार के वो दिन,
क्या यही याद कर रहा है तुम,
वो तो तुम्हारे पास सब,
छोड़ कर गई है
उसका रूप बदलकर गई है
नाम है जिसका-यादें
उन यादों के झरोखों में,
झाककर देखोगे जब,
दिखाई देगा वो सब
साथ-साथ रहने की-
चाहे वो बाग हो
चाहे वो सफर हो
चाहे वो मन्दिर हो
चाहे वो महफ़िल हो
चाहे वो प्यार हो
चाहे वो इजहार हो
सब हैं यादों में कैद
वो लेकर क्या गई ?
सिर्फ व सिर्फ एक नाम-
बेवफा !