एक डाल पर एक चिड़िया
एक डाल पर एक चिड़िया
एक डाल पर एक चिड़िया
बोले कई -कई बार सुन भाई
मैं सजीव ,मुझ में भी है प्राण
आषाढ़ की चिलचिलाती गर्मी से
मुझे भी है सावन का इंतजार।
सूखती नदियां ,सिमटते पर्वत
मजाक बनाकर विकास का
तपती भूमि को कौन समझाए?
मुझमें भी है एक प्राण।
तुम भी जियो मुझे भी जीने दो
जीने के लिए एक ही संसार
उगेगा नही तो खायेंगे क्या
पर्यावरण बचाओ धरा बचाओ ।
पेड़ काट उन्हें खूब रुलाया
पर्यावरण को खूब सताया
अब धरती को एक पुकार
सब मिलकर पेड़ लगाएं
मुझे बचाओ मुझे भी एक प्राण
एक डाल पर एक चिड़िया
बोले कई कई बार .......... ।।

