मेरा भी कुछ हिसाब बाकी
मेरा भी कुछ हिसाब बाकी
मेरा भी कुछ हिसाब बाकी
सूखे शब्दों के मत भेद,
कुछ -कुछ नरम गरम,
भूली – बिखरी कर्म,
उलझी – सुलझी अल्फाज।
श्वास कम उम्र ज्यादा,
रात कम ख्वाब ज्यादा,
खुशी कम गम ज्यादा,
इश्क कम जीद ज्यादा।
माप -तोल तो हुआ नहीं,
हिसाब तो रखा भी नहीं,
किसका जायदा किसका कम,
बाकी कुछ हिसाब अभी।
अब तो भाग्य पर छोडी,
कर्म खराब तो किया नहीं,
धर्म अपना भी छोडी नहीं,
पाप पूर्ण का हिसाब रखा नहीं।
वापसी आ कर देख लो,
लाभ नुकसान का खाता,
लाभ आप ही रख लेना,
नुकसान मुझे दे देना।