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goutam shaw

Abstract Romance Classics

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goutam shaw

Abstract Romance Classics

चांद देखा

चांद देखा

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तारों की रोशनी,

मन की गहराई,

ना जाने कितना शोर,

मगर रात की चुप्पी से,

चाँद को देखा…..


आसमां की गोद में बैठा,

सितारों के बीच ,

बस एक तरफ चमकता…


सोचा, वो भी तन्हा है,

देखा खूबसूरती,

पर उदासी, कुरूपता

नजरअंदाज की

हाँ, देखा ……


सागर में ऊफान,

व्याकुल कोमल धरती से ,

चाँद को देखा…


तन्हाई का शोर,

गूंजता , ठोकर खाता

चांद की चांदनी,

बादल से उलझे,


फिर से सुलझे,

मेरी साँसें मुस्काई ,

हां….आज मैंने

चांद देखा……।


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