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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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मुखौटे

मुखौटे

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अनुभूति की आंखों से 

दुख की सूरत

सुख का मुखौटा पहने दिखती है


सुख मात्र मुखौटे है

हर मुखौटे के पीछे

एक दुख की सूरत है


जिसे अस्वीकार भाव ने 

बदसूरत बना दिया 


दुख जबकि संसार से 

घृणित दुत्कार के बाद

करुणा की तलाश में है


उस करुणा की तलाश में

जो उसको 

प्रेम और घृणा के दंभ से 

पार मात्र देखे,

बिना किसी अवधारणा के,

और पहचाने,... कि

दुख के अलावा

किसने

प्रयत्न किया 

सुख आनंद की प्यास को

जीवित रखने के लिए 


             


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