Kawaljeet GILL

Abstract Inspirational

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Kawaljeet GILL

Abstract Inspirational

अकेले चाँद को भी....

अकेले चाँद को भी....

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 अकेले चाँद को भी अक्सर 

चाँदनी की याद आती होगी,

हज़ारों सितारों के बीच तनहाई

अपनी रुलाती होगी,

हमारी तरह वो भी फिर खुद

से ही रूबरू होता होगा,

वक्त अपना गुजारने के लिए 

आसमान के बादलों से सितारों से

बाते करता होगा,

किसी टूटते तारे का इन्तजार करता होगा,

अपनी दुआ कबूल होने की दुआ मांगता होगा,

हर कोई है तन्हा तन्हा ये सोच रो लेता होगा,

जाने कितने सवाल खुद से करता होगा,

जाने कितने सवालों के जवाब ढूंढता होगा,

खुद ही रोता होगा खुद ही हंसता होगा,

तनहाइयों से अपनी कभी कभी वो भी

 डर जाता होगा,

तनहाइयाँ ना मिले कभी किसी को ये दुआ 

माँगता होगा,

ऐ चाँद तू ही नहीं तन्हा हम भी है साथी तेरे,

चल आ हम तुम से और तुम हमसे दोस्ती कर ले ।


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