मेरी हसरतों का चाँद
मेरी हसरतों का चाँद
मेरी हसरतों का चाँद निकलता और चला जाता है,
ख्वाबों में ही हम और तुम अपनी हसरतें पूरी कर लेते है,
माना कि दूर होकर भी हम करीब है,
पर ये हसरतें हमारी कभी कभी दोनों को ही रुलाती है।
बिन कहे ही तेरे दिल के राज हम जान जाते है,
तेरी नाराज़गी की वजह से रूबरू हो जाते है,
तुझको मनाना आता है हमको ये खूब जानते हो तुम,
इसलिए रूठने के हज़ार बहाने ढूंढते रहते हो तुम ।
नाम है कवल कमल के फूल जैसा,
कीचड़ में हो चाहे खिला,
खुशबू से इसकी महके घर आंगन बाबुल का,
नहीं हूँ मैं गुलाब सी जो है फूलो का राजा,
होते है गुलाब में काँटे जो चुभ जाये तो दर्द दे।
तुझको दर्द देने का ख्याल भी ख्वाबों में नहीं आता,
मेरी हसरतें चाहे दम तोड़ दे कोई बात नहीं,
जब भी तुम पुकारते हो हम दौड़े चले जाते है,
तेरी हसरतों को पूरा करने की कोशिश करते है ।
