स्नेह और प्रेम के बीज
स्नेह और प्रेम के बीज
स्नेह और प्रेम के बीज से बने हुए रिश्ते
अंत तक साथ निभाते तो है,
लेकिन उन रिश्तों को भी बहुत संभालकर
सींचना पड़ता है,
गर वक्त वक्त पर सींचोगे नहीं तो जाने कब
मुरझा जाए पता ही नहीं चलेगा,
प्यार और विश्वास जब तक रहेगा वो हरे भरे
फलते फूलते रहेंगे,
विश्वास अगर टूट गया तो फिर वो मोतियों की
माला की भाँती बिखर जाएंगे,
वक्त रहते अपने रिश्तों की कद्र कर लो उनको
संभालकर रख लो,
बरसो लग जाते है विश्वास बनाने में और टूटने में
पल भर भी नहीं लगता,
प्यार से बनाये ये रिश्ते कभी शक की आग में जलने ना देना,
दिलों के बंधन दिलों से जुड़ते है इनको शक करने पर मजबूर ना करना,
गर थोड़ा सा प्यार थोड़ी सी शांति से ये रिश्ते सम्भल जाए तो कोशिश जरूर करना,
कोशिश गर सच्ची होगी तो स्नेह से बनाये रिश्ते कभी नहीं टूटेंगे,
हो सके तो रिश्तों को अंत तक निभाओ और इस पौधे को कभी मुरझाने ना दो ।
