जिन्दगी एक कागज की नाव...
जिन्दगी एक कागज की नाव...
ऐ जिंदगी तू जो कागज़ की नाव होती,
तब भी हमको इसको खुद ही चलाना पड़ता,
आने वाली हर आँधी तूफ़ान से बचाना पड़ता ,
सुख दुख तो जीवन का हिस्सा है इनसे क्या घबराना,
जब भी चलती है तेज़ हवाएं बड़े से बड़े जहाज़ भी बह जाते है,
जरा सी लापरवाही से समुद्र उनको भी निगल जाता है,
फिर हम कैसे बचें रहेंगे इन लहरों इन आंधियों से,
अपनी समझदारी से ही हमको हर तूफान से बाहर आना होगा,
तुझे नाव की भांति चलाये हम या किसी फूल की तरह समझे,
जिंदगी की राहों में आये कांटों या तूफानों से हमको खुद को पार लगाना होगा,
आसान नहीं होता जिंदगी का सफर रोज नया इम्तिहान लेती है जिंदगी,
जिंदगी कभी दोस्त सी लगती हैं कभी दुश्मन बनकर दगा भी दे जाती है ।
