कभी दूसरों का मज़ाक उड़ाया करते थे, आज खुद ही अब यों चोट खाये बैठे हैं। कभी दूसरों का मज़ाक उड़ाया करते थे, आज खुद ही अब यों चोट खाये बैठे हैं।
किसी कश्ती में सवार, कुश्ती सी लड़ती रही ज़िन्दगी की पतवार, साहिल की तलाश भी ख़ुद करनी थी। किसी कश्ती में सवार, कुश्ती सी लड़ती रही ज़िन्दगी की पतवार, साहिल की तलाश भी ख...
मैं पत्थर नहीं बन गई आँखें मेरी अब भी करती रहती हैं शून्य से बातें..!! मैं पत्थर नहीं बन गई आँखें मेरी अब भी करती रहती हैं शून्य से बातें..!!