ये सुनकर भी मुस्कुराती है और अपने बलबूते में घर को स्वर्ग वही बनाती है। ये सुनकर भी मुस्कुराती है और अपने बलबूते में घर को स्वर्ग वही बनाती है।
कहने को तो क्षितिज़ भी है, और है पूरा आसमान; अंत का सफ़र फिर भी पूरा करता है सूना शमशान... कहने को तो क्षितिज़ भी है, और है पूरा आसमान; अंत का सफ़र फिर भी पूरा करता है सूना...
जल्दी नहीं सोए तो कैसे होंगे कल के काम ठान कर कमर सोचती हूँ जल्दी से कर लूं सारे का जल्दी नहीं सोए तो कैसे होंगे कल के काम ठान कर कमर सोचती हूँ जल्दी से क...
गृहिणी बनी है औरत चुल्हा-चौंका जलाती है औरत गृहिणी बनी है औरत चुल्हा-चौंका जलाती है औरत
परिवार का खाना ही आता है होटल या ढाबे से तुम्हारे लिए फुर्सत कहां है। परिवार का खाना ही आता है होटल या ढाबे से तुम्हारे लिए फुर्सत कहां है।
बैठती हूँ एक कोठरी में लेकर कागज़ कलम, लिखती हूँ, मिटाती हूँ, कुछ सच, कुछ वहम। बैठती हूँ एक कोठरी में लेकर कागज़ कलम, लिखती हूँ, मिटाती हूँ, कुछ सच, कुछ वहम।