मिले तुम तो हसरतों की शमा़ पुरज़ोर जलने लगी। मिले तुम तो हसरतों की शमा़ पुरज़ोर जलने लगी।
ये चाहता है सुखद परिणाम जैसे हुआ था महाभारत में। ये चाहता है सुखद परिणाम जैसे हुआ था महाभारत में।
छुपे हुए राज की हकीकत से रूबरू होती खामोशी। छुपे हुए राज की हकीकत से रूबरू होती खामोशी।
मैं ढूंढना चाहती हूँ उन बच्चों को जो कंचे खेलते थे पिता, ताऊ, काका को देखकर छिप जात मैं ढूंढना चाहती हूँ उन बच्चों को जो कंचे खेलते थे पिता, ताऊ, काका क...
गर यादों की कोठरी मैं खुली छोड़ आया कभी कुछ पल हैं जो मेरे आज को तबाह कर बैठेंगे। गर यादों की कोठरी मैं खुली छोड़ आया कभी कुछ पल हैं जो मेरे आज को तबाह कर बैठे...
बैठती हूँ एक कोठरी में लेकर कागज़ कलम, लिखती हूँ, मिटाती हूँ, कुछ सच, कुछ वहम। बैठती हूँ एक कोठरी में लेकर कागज़ कलम, लिखती हूँ, मिटाती हूँ, कुछ सच, कुछ वहम।