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Sandeep Firozabadi

Drama

3  

Sandeep Firozabadi

Drama

ख़ामोशी

ख़ामोशी

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अकेलेपन की मनहूसियत से

लबरेज जर्जर दीवारों की

कोठरी में स्याह काली रात से

अंधेरों में कैद खामोशी।


बातों से रिश्ते नातों से भू

ली बिसरी यादों से   

बनावट के मखमली पर्दों की

सिलवटों की गर्त में,


छुपे हुए राज की

हकीकत से रूबरू होती  

खामोशी।


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