बदलाव
बदलाव
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( सतयुग में )
"मैं हूँ मीठा गुड़ सा मोहे मीठी बात सुहाये,
मीठी वाणी बोल के सब अपनों लियो बनाये।"
(कलयुग में )
"ना बन मीठा गुड़ सा तोहे तिल-तिल चींटी खाये,
रख खारा स्वाद नमक सा सो पास आत भग जाये।"