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Sandeep Firozabadi

Drama

1.0  

Sandeep Firozabadi

Drama

बदलाव

बदलाव

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512


( सतयुग में )

"मैं हूँ मीठा गुड़ सा मोहे मीठी बात सुहाये,

मीठी वाणी बोल के सब अपनों लियो बनाये।"


(कलयुग में )

"ना बन मीठा गुड़ सा तोहे तिल-तिल चींटी खाये,

रख खारा स्वाद नमक सा सो पास आत भग जाये।"


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