मुफ़लिसी
मुफ़लिसी
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मुफ़लिसी में यूँ साथ छोड़ने वाले,
इक बार साथ निभा कर तो देखते,
क्या औकात है इस दौलत की,
सांसों की वसीयत तेरे नाम कर देते|
