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Sandeep Firozabadi

Others

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Sandeep Firozabadi

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मुफ़लिसी

मुफ़लिसी

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मुफ़लिसी में यूँ साथ छोड़ने वाले,

इक बार साथ निभा कर तो देखते,

क्या औकात है इस दौलत की,

सांसों की वसीयत तेरे नाम कर देते|


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