कोरा वहम
कोरा वहम
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मैं शुक्रगुजार हूँ उनका जो बुरे वक्त में मेरा साथ नही देते हैं,
बदल के रुख अपना मुँह मोड़ लेते हैं,
चलो इसी बहाने मैं हकीकत से रुबरू तो होता हूँ,
जो चार दोस्त थे गिनती के उन्हे दो कर लेता हूँ,
दो भरोसे लायक निकले ये भी क्या कम है,
या उन्हें आजमाया नहीं बस कोरा वहम है