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एम के कागदाना

Tragedy

4.0  

एम के कागदाना

Tragedy

मैं ढूंढना चाहती हूँ

मैं ढूंढना चाहती हूँ

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मैं ढूंढना चाहती हूँ

उन बच्चों को 

जो गुम हो गए

आधुनिकता की कोठरी में

मैं ढूंढना चाहती हूँ

उन बच्चों को

जो बनते थे टीचर

आज खो गए वो पबजी में


मैं ढूंढना चाहती हूँ

उन बच्चों को

जो कंचे खेलते थे

पिता, ताऊ, काका

को देखकर छिप जाते थे

दादा की ओट में

अब घुसे रहते हैं

माँ की बनाई समय सारिणी में


मैं ढूंढना चाहती हूँ

उन बच्चों को

जो चढ़ जाते थे

झट से नीम के पेड़ पर

झुक जाते थे टहनी से

अब टंगे रहते हैं

पेरेन्ट्स की इच्छाओं में


मैं ढूंढना चाहती हूँ

उन बच्चों को

जो चिट्ठी लिख कर

अपनी भावनाओं को व्यक्त करते थे

आज लिख नहीं पाते हैं

अपनी मनोदशा और

कर लेते हैं सुसाइड


मुझे बच्चे मिले मगर

नहीं मिला उनका खोया बचपन

लौटा दो रे आधुनिक माता पिताओं

उनका वो बचपन

जो खो गया है आधुनिकता में



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